सीरम इंस्टीट्यूट सितंबर माह से रूस के स्पूतनिक वैक्सीन का निर्माण करेगा, इसके तहत हर वर्ष 300 मिलियन डोज का उत्पादन किया जाएगा. गौरतलब है कि मात्रा के लिहाज से दुनिया में सबसे बड़े वैक्सीन निर्माता RDIF और सीरम इंस्टीट्यूट सितंबर से कंपनी में रूस की वैक्सीन स्पूतनिक का उत्पादन शुरू करेंगे.जानकारी के अनुसार, इसके
सीरम इंस्टीट्यूट सितंबर माह से रूस के स्पूतनिक वैक्सीन का निर्माण करेगा, इसके तहत हर वर्ष 300 मिलियन डोज का उत्पादन किया जाएगा. गौरतलब है कि मात्रा के लिहाज से दुनिया में सबसे बड़े वैक्सीन निर्माता RDIF और सीरम इंस्टीट्यूट सितंबर से कंपनी में रूस की वैक्सीन स्पूतनिक का उत्पादन शुरू करेंगे.जानकारी के अनुसार, इसके लिए टेक्नोलॉजी की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है. ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया की मंजूरी के बाद cultivation process शुरू किया जा चुका है. दोनों पक्ष मिलकर सालभर में देश में 30 करोड़ स्पूतनिक वैक्सीन का निर्माण करेंगे.
वैक्सीन का पहला बैच सितंबर 2021 में आने की संभावना है. सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के प्रमुख अदार पूनावाला ने कहा, ‘हम स्पूतनिक वैक्सीन के उत्पादन के लिए RDIF के साथ साझेदारी करके बेहद खुश हैं. हम आने वाले महीनों में लाखों डोज बनाने की उम्मीद करते हैं. ट्रायल बैच सितंबर माह से प्रारंभ होंगे. ‘
उन्होंने कहा, ‘उच्च प्रभावशीलता और अच्छे सुरक्षा प्रोफाइल के लिहाज से यह महत्वपूर्ण है कि Sputnik वैक्सीन भारत और दुनियाभर के लोगों के लिए उपलब्ध हो. वायरस को लेकर अनिश्चितता को ध्यान में रखते हुए इंटरनेशनल संस्थानों और सरकारों को कोरोना महामारी के खिलाफ ‘जंग ‘के लिए सहयोग करना महत्वपूर्ण है. ‘Russian Direct Investment Fund के सीईओ किरिल दिमित्रिव ने कहा, आरडीआईएफ को दुनिया के सबसे बड़े वैक्सीन निर्माता सीरम इंस्टीट्यूट के साथ सहयोग करके खुशी हो रही है. यह रणनीतिक साझेदारी, उत्पादन क्षमता बढ़ाने के लिहाज से अहम कदम है.’ गौरतलब है कि रूस ने पिछले साल अगस्त में दुनिया की पहली कोरोना वैक्सीन (coronavirus vaccine) बनाने का ऐलान किया था. राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिनने कहा था कि उनके देश ने कोरोना वायरस की पहली वैक्सीन बना ली है. उन्होंने यह भी बताया कि उनकी बेटी को भी यह टीका लगाया गया है और वह अच्छा महसूस कर रही है. इस वैक्सीन का नाम स्पूतनिक-V (Sputnik V) रखा है कि जो उसके एक उपग्रह का भी नाम है.स्पूतनिक, जिसकी प्रभावशीलता 91.6% है, ऐसी तीसरी वैक्सीन है जिसके उपयोग को भारत में मंजूरी दी गई है.
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